लोकसाहित्य अनुभाग
यहाँ की समृद्ध छत्तीसगढ़ी बोली और विराट लोक साहित्य को सम्मानजनक स्थान दिलाने, उसके प्रचार-प्रसार और समानांतर विकास की प्रक्रिया में सम्मिलित करने की दिशा में यह अनुभाग लगातार सक्रिय है। जिनमें संस्था द्वारा प्रकाशित अनियतकालीन छत्तीसगढ़ी प्रत्रिका "लोकमंजरी एवं "छत्तीसलोक" का प्रकाशन प्रमुख है। इसके अतिरिक्त संस्था द्वारा अपनी बोली में आपसी पत्र व्यवहार, आमंत्रण - संदेश- संपर्क इत्यादि माध्यमों के जरिये प्रेरणा प्रसार का कार्य कर रही है। समकालीन व प्रासंगिक विषयों पर विचार गोष्ठी, सेमीनार कार्यशाला आदि का आयोजन समय-समय पर किया जाता है। अनुभाग द्वारा लोकसाहित्य को लेकर एक पुस्तकालय का विकास भी किया जा रहा है।