लोकनृत्य अनुभाग
इस विभाग का उद्देश्य संपूर्ण छत्तीसगढ़ में प्रचलित विभिन्न परंपरागत लोकनृत्यों का संग्रहण कर उस पर शोध, प्रशिक्षण एवम् प्रदर्शन करना है। विशेषकर इसके तहत अंचल के सुदूर वनांचलों में विलुप्ति के कगार पर पहुँचे आदि लोकनृत्यों का फील्ड में जाकर कलेक्शन करना है, तथा संबंधित नृत्य भविष्य में भी कैसे सुरक्षित रहे, उनका पीढ़ीगत हस्तान्तरण कैसे हो, वह वर्तमान एवम् भविष्य में हमारी परंपरा का अंग कैसे बने, उस पर जमीनी तौर पर ईमानदारी से कार्य करना है। संस्था की नृत्य - गुरू रामेश्वरी द्वारा उपरोक्त संदर्भ में उल्लेखनीय कार्य किया जा रहा - सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केन्द्र संस्कृति विभाग, भारत सरकार द्वारा उन्हे "सीनियर फेलोशिप' स्वीकृत की गई है। जिसके तहत उनके द्वारा बस्तर, सरगुजा, रायगढ़, कवर्धा, गरियाबंद, आदि वनवासी बहुल क्षेत्रों में जाकर प्रत्यक्ष रूप से उन आदिनृत्यों के संबंध में शोधपरक जानकारी एकत्रित कर वहाँ की जनजातीय संस्कृति न लोककलाओं को वाजिब मुकाम देकर उनकी अक्षुण्यता बनाये रखने की दिशा में विशेष रूप से कार्य किया जा रहा है। इस तरह "लोकमंजरी" उपर्युक्त समस्त विधाओं को लेकर निरंतर सक्रिय है। संस्था अंचल के समस्त लोककलाकारों; सुधि- दर्शकों, श्रोताओं व प्रेक्षकों तथा सभी शासन प्रशासन प्रभागों से आर्शीवाद और संबल की अपेक्षा रखता है।